सामान्य भाषा में इलेक्ट्रिसिटी :-
विद्युत को आम भाषा मे ऐसे समझ सकते है कि हर एक पदार्थ छोटे-छोटे कणों से बना है जिसे एटम (परमाणु) कहते है। परमाणु भी प्रोटोन, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रान से बना होता है। हर परमाणु के अंदर एक नाभिक या न्यूकलस होता है जिसमे प्रोटान और न्यूट्रॉन रहते है और इलेक्ट्रान नाभिक के बाहर की कक्षाओ में चक्कर लगाते रहते है। प्रोटोन को हम पॉजिटिव और इलेक्ट्रान को नेगटिव गुण का मानते है। न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नही होता वो न्यूट्रल रहता है मतलब स्टेबल या शून्य अवस्था मे रहता है। अब यहाँ जानने वाली बात है कि दुनिया की प्रत्येक वस्तु, घटना, क्रिया या अवस्था हमेशा अपने आप को शून्य या स्टेबल अवस्था मे बनाये रखने की कोशिश करती रहती है। ठीक इसी प्रकार परमाणु भी स्थिर रहने के लिए प्रोटॉन और इलेक्ट्रान की मात्रा बराबर रखकर अपने आप को स्थिर या शून्य अवस्था बनाये रखता है। जैसे-आप किसी भी तत्व की परमाणु संरचना को देखे तो उसमें आप पाएंगे कि प्रोटॉन और इलेक्ट्रान की मात्रा बराबर है। यह उस तत्व को शून्य आवेश पर रखता है। जैसे ही प्रोटॉन या इलेक्ट्रान की मात्रा में अन्तर उत्पन्न होता है वो परमाणु पॉजिटिव अथवा नेगेटिव आवेश पर आ जाता है। अगर कोई परमाणु में इलेक्ट्रान से ज्यादा प्रोटॉन है तो वह पॉजिटिव आवेश पर है और वह नेगेटिव आवेश वाले इलेक्ट्रान को लेकर नूट्रल या शून्य अवस्था में आने की कोशिश करता है। ठीक इसी प्रकार अगर कोई परमाणु में प्रोटॉन से ज्यादा इलेक्ट्रॉन हो तो वह नेगेटिव आवेश पर होता है तथा वह पोसिटिव आवेश वाले प्रोटॉन को लेकर न्यूट्रल या शून्य अवस्था मे आने की कोशिश करता है। पॉजिटिव और नेगेटिव आवेश के इस व्यवहार के कारण दोनो एक दूसरे से आकर्षित होते है और यदि एक ही प्रकार के आवेश को पास में लाया जाए तो वो एक दूसरे को विकर्षित करते है। परमाणु में नाभिक के बाहर इलेक्ट्रॉन जितने नाभिक से दूर होता है उतने ही उसकी नाभिक से बॉन्डिंग (बन्ध) कमजोर होती है। ऐसे इलेक्ट्रॉन को यदि किसी प्रकार से ऊर्जा देकर उसके कक्षा से बाहर निकाल दे तो वह उस परमाणु से निकल कर उस तत्व में स्वतंत्र रूप से घूमता रहता है और इस प्रकार उस परमाणु में इलेक्ट्रान की संख्या प्रोटॉन से कम हो जाती है और वह परमाणु पॉजिटिव आवेश पर आ जाता है। अब वह फ्री या स्वतन्त्र इलेक्ट्रॉन शून्य या स्टेबल अवस्था पाने ले लिए कोई दूसरा परमाणु जिसमे इलेक्ट्रॉन की संख्या कम हो से जुड़ जाता है। अब यहाँ यह सवाल पैदा हो सकता है कि वो इलेक्ट्रॉन खुद के परमाणु में पुनः क्यों नही जुड़ता? इसका उत्तर यह होगा कि जिस ऊर्जा के कारण वह अलग हुवा है। वह ऊर्जा इलेक्ट्रान के आकर्षण से ज्यादा होती है जिसके कारण इलेक्ट्रॉन दुसरा कम ऊर्जा वाला आवेशित परमाणु में जुड़ जाता है। इस प्रकार आवेश पैदा होता है और इस आवेश के संचलन या प्रवाह के कारण विद्युत पैदा होती है। इस आवेश को नापने के लिए कुलम्ब यूनिट का प्रयोग करते है। आवेश प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते है। जैसे नदी में धारा पैदा होती है जो एक जगह से दूसरे जगह तक प्रवाह करती है। ठीक वैसे ही आवेश एक जगह से दूसरे जगह तक प्रवाहित होते है जिसके कारण ठीक नदी की धारा जैसे धारा पैदा होती है और उसकी दर को विद्युत धारा कहते है।
यह एक उदाहरण के तौर पर एटम का माडल है जिसमे आप इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रान को देख सकते है।
अब आपको आवेश के उत्पन्न होने के कारण मिल गया होगा। आवेश के कारण विद्युत क्षेत्र बनता है।